पंख होते तो उडी जाती नन्दी बाबा के व्दारे घुमड घुमड मोरा जीयरा रोए बहे दूध की धारा पंख होते तो उडी जाती नन्दी बाबा के व्दारे घुमड घुमड मोरा जीयरा रोए बहे दूध की...
रिश्तों की अजनबीयत... रिश्तों की अजनबीयत...
अवसरों को टोहता अपनापन... अवसरों को टोहता अपनापन...
तभी अचानक कानों में पड़ा सुनाई लड़के कभी रोते नहीं जीवन के संग्राम में कभी कमजोर होत तभी अचानक कानों में पड़ा सुनाई लड़के कभी रोते नहीं जीवन के संग्राम में ...
बन जाती हूँ । बन जाती हूँ ।
आपसी तल्खियां बहुत बाद जाती है (कटुता ) शहरी पुरानी बस्तियाँ आबाद जाती है। आपसी तल्खियां बहुत बाद जाती है (कटुता ) शहरी पुरानी बस्तियाँ आबाद जाती है।